आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका

नया साल शुरू होने से ठीक पहले दो ऐसी घटनाएं हुईं जिनसे आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका का दो दशक लंबा अभियान सवालों के घेरे में आ गया है31 दिसंबर, यानी बीते मंगलवार को इराक की राजधानी बगदाद स्थित अमेरिकी दूतावास पर उग्र प्रदर्शनकारियों की भीड़ चढ़ दौड़ी। ये लोग ईरान समर्थित मिलिशिया के खिलाफ अमेरिकी हवाई हमलों से नाराज थे। अमेरिका ने इस औचक गतिविधि के पीछे ईरान का हाथ जंग छिड गई। इसके दो दिन बाद प्रदर्शनकारी अमेरिकी दतावास परिसर से पीछे हट गए लेकिन तब तक जो हो चका था, उससे इराक में अमेरिका की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। दसरी घटना इससे एक दिन पहले अफगानिस्तान में घटित हई, जहां तालिबान के हमले में 14 अफगान सैनिकों की जान चली गई। यह कोई अलग-थलग घटना नहीं है। बीते साल में तालिबान और आइसिस के कई हमले अफगानिस्तान में देखने को मिले हैं। अलबत्ता सोमवार को हुए हमले की अहमियत इस बात में है कि हफ्ता भर पहले अमेरिका और तालिबान में समझौते की बातचीत आखिरी चरण में बताई जा रही थी। समझौते पर दस्तखत लिए अमेरिका की शतं युद्धविराम घोषित करने की थी। खबरों के मताबिक तालिबान इसके लिए सैद्धांतिक सहमति भी दे चका था। इसके बावजद उसके द्वारा इतनी बडी सैन्य कार्रवाई के गहरे निहितार्थ हैं। इस हमले में किसी अमेरिकी सैनिक की जान नहीं गई है, लेकिन एक बात तय है कि अमेरिका के लिए इस चुनावी साल में अपने सैनिकों को अफगानिस्तान से वापस लाना आसान नहीं होगा।